Thank You Sachin! (Hindi Poetry)
When Sachin retired.. and left a hole in my heart!
schedule 44s

Written on: Nov 14, 2013

अब ना रहेगा ये नारों का शोर
अब ना चलेगा वो बल्ले का ज़ोर
ना मानेगी अब शतकों पे दीवाली
ना रहेगी कभी सडकें अब खाली

ना ग़र्ज़ेगा कभी शारजाह में शेर
ना world cup में होगा रनो का ढेर
ना किसी के सपनो पे वो करेगा राज़
ना हि उपर cut से गिराएगा गाज़

पर रहेगा वो हमेशा यहीं कहीं
मुस्कुराहट में नहीं तो आंशुओं में ही सही
किसी की एक shot में कभी नज़र आएगा
किसी आँखों की चमक में कभी नज़र आएगा

किसी के विनम्रता में भी आएगा कभी
किसी की दुआ बन साथ निभाएगा कभी
किसी की प्रेरणा में रहेगा सदा
किसी के लक्ष्य बनके बहेगा सदा

लोग कहते हैं की वो retire हो रहा
पर वो तो यहीं, दिल में ही है पड़ा
शायद ये नाम कभी मिट भी जाए
कौन मई का लाल है जो उसे दिल से निकाल पाए!

ये कविता हर उन धड़कनो के नाम
जो धड़कता है सचिन के नाम!


Last modified on 2013-11-14